Wednesday 12 March 2014

अभिव्यक्ति

सहज रूप मे कहें
धूप में बाल सफेद यूं ही नहीं किये
गहन रूप में कहें
बढ़ती हुई उम्र के साथ साथ 
व्यक्ति ही नहीं 
व्यक्ति कि अभिव्यक्ति भी 
बदल जाती है 

व्यक्ति

जरा गौर फरमाएं
बचपन, जवानी और बुढ़ापे में,
 बस अंतर है इतना सा
बढ़ती हुई उम्र के साथ साथ,
व्यक्ति  ही नहीं
व्यक्ति की अभिव्यक्ति भी
 बदल जाती  है


Tuesday 4 March 2014

मैं प्यारी

मिठाई खा नहीं सकती
डाईबिटीज  जो है
नमकीन पचा नहीं  सकती
हाई बी. पी. की  है शिकायत
शरीर थोड़ा भारी  है
थाइरॉइड की  बीमारी है
आँखों पर है चश्मा
एक आँख नयी बनवायी है
अब दूसरी आँख की  बारी है
आर्थराइटिस की वजह से
चाल है थोड़ी  टेढ़ी
घुटनों के नखरे जारी  हैं

यारों फिर भी
हूँ पतिदेव कि प्रियतमा प्यारी
मम्मी डैडी की हूँ राजदुलारी
भाइयों कि हूँ बहना न्यारी
बच्चों कि हूँ मॉम  प्यारी

भाड़ में जाएँ बीमारी
मै क्यों  होऊं दुखियारी
जब सब अपनों को हूँ मैं  प्यारी