Sunday 17 April 2016

गम

इन दिनों उखड़ा उखड़ा सा है मन
घिरे हैं दुनिया की उलझनों से ऐसे 
दिख रहा है चारों और गम ही गम
उनसे जो की थी उम्मीदें वफ़ा
वो हो गये हमसे न जाने क्युँ खफा
सुन लेते हैं वो दुनिया में सबकी
हम कुछ  भी कहना चाहें
तो कर देते हैं हमें दूर से ही दफा 

Wednesday 13 April 2016

हर्फ़

                         1
वर्षों पुराने ,कुछ लम्हों के तेरे साथ ने
हमें जिंदगी भर का , मुरीद बना  दिया


                         2
लिखे जो कुछ हर्फ़ तेरी याद में
मेरे लिए उदासी का आलम बन गए 

Tuesday 12 April 2016

अहसास

रात के अँधेरे में, जब सब सो जाते हैं
बंद आँखों में तेरी बांसुरी बजाती हुई मनमोहिनी छवि को बसा कर
साथ में तेरे नाम को जपते हुए
आहिस्ता आहिस्ता तुझमे समाते हुए
साथ में होता है एक प्यारा और खूबसूरत अहसास
कान्हा तू है मेरे पास ,पास और  बहुत पास 

Monday 11 April 2016

सुकून

महसूस होता है जैसे,
सुकून में है जिन्दगी  मेरी
अब याद जो कम  आता है तू
याद जब आता था यारा ,
बहुत तड़पाता था तू
तब तेरी यादों में बहुत मशरूफ थे हम,
अब इक खालीपन सा
जो आ गया है जिंदगी में
क्या करें,वो समेटा  नहीं जाता

Friday 8 April 2016

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कल ही मुझे किसी अपने ने दी इक सलाह
जो मेरे दिल को गयी बहुत  भा
उसने बड़े प्यार से मुझे कहा
वैसे तो तुम्हारी कविताएं बढ़िया हैं
फिर भी ,दीदी तुम दारु का  करो नित सेवन
जिससे  निखर जायेगा तुम्हारा लेखन
नित नयी कविताएं निकल के आएँगी
गजलें और नज्मे भी उभर आएँगी

Wednesday 6 April 2016

हमारा दोस्ताना और वो कॉलेज का जमाना

प्यारी रीता तुम्हे भी याद होगा,वो 42 -44 सालों पुराना  कॉलेज का जमाना
वो लालबाग  कॉलेज हमारा ,पैदल चल कर साथ आना जाना
रास्ते भर खूब गप्पे लड़ाना,हंसना और मुस्कराना
जूलॉजी की वो मैम वर्मा ,बॉटनी की वो रेवा भाटिया
नहीं भूली होगी तुम भी, उस हैंडसम बायोलॉजी के प्रैक्टिकल एग्जामिनर का आना
हमारी टीचरों का उस पर फ़िदा हो जाना ,दुसरे दिन ही मैम भाटिया का बॉबकट करवाना
वो मैम  वर्मा का सज धज के आना, हम सब स्टूडेंट्स का एक्जामिनर  से ऑटोग्राफ लेना
जैसे वो हो कोई सेलिब्रिटी पुराना
आर्ट फैकल्टी की टीचर को पीठ पीछे मुर्गी कह कर बुलाना
कितना सुहाना था वो मस्त जमाना

घर दूर होने के बावजूद भी हम लोगों का साथ साथ रिक्शे से महिला कॉलेज जाना
वो सड़क किनारे इक दूजे का इंतजार करना
वो आवारा लड़को का कभी कभी गुड मॉर्निंग करना
हमारा सुन कर भी उसे अनसुना करना
वो बॉटनी की  पीएचडी होल्डर मैम ईश्वरी भी याद होंगी
जिस टॉपिक को पढाना शुरू करती थी
पढ़ाते हुए उसे भूल कर  दुसरे टॉपिक पर पहुँच जाती थी
वो इनओर्गनिक केमिस्ट्री के सर का लच्छेदार बातें बनाना
नाम क्या था उनका ,नहीं याद आ रहा
वो आर्गेनिक  केमिस्ट्री की टीचर का लोरी  सुनाते हुए पढ़ाना
वो क्लासेज के बाद ऐन.  सी. सी. के लिए रुकने पर, हम सब का मुँह बनाना
बाद में अलग पढाई की वजह से हमारा जुदा  हो जाना, फिर भी एक दुसरे से मिलते रहना
आज भी याद है मुझे वो तुम्हारी भाभियों से बतियाना ,
भतीजे ,भतीजियों को गोद  लेकर खेलाना
वो तुम्हारी बैठक में बैठ कर आराम से अदरक, काली मिर्च और गुड की चाय पीते हुए
इक दुसरे को अपना हर एक राज बताना ,एक दुसरे से कुछ भी न छुपाना
शादी के बाद भी मिलने की कोशिश करना, 42 -44 वर्षों  का है हमारा ये दोस्ताना पुराना

दूर रह कर फेसबुक  और व्हाट्सप्प की बदौलत
 हम अब भी है आस पास
फर्क इतना है पहले हम दोनों  थे कुंवारे
अब एक एक बहु की बन गए है सास.
 हाहाहा


श्रद्धांजलि

स्वर्गीय ऊषा दीदी को समर्पित 

जब जीजा जी ने ये कहा ,
लोग पूछते हैं ,क्या आपका घर बिका
मैं कहता हूँ,मेरा घर क्या  बिका
मेरा तो आशियाँ  उजड़ा
नहीं जानता, कहाँ नया ठिकाना बनाऊंगा
नहीं जानता, कहाँ नया आशियाना  बनाऊंगा
ये सब मेरे लिए कितना दुखदायी है
बड़े  प्यार से  उसने ये दीवारें बनायीं थी
बड़े  शौक से उसने ये  टाइल्स लगवाईं थी
बढे यत्न से करती वो इनकी सफाई थी
मेरे लिए उसकी यादों का निशाँ उजड़ा
मेरा घर क्या बिका ,मेरा तो आशियाँ उजड़ा

जीजा जी के ये उद्गार देख हम सब घबरा जाते हैं
उनके सामने दीदी तुम्हे याद करने से भी कतराते है
तुम्हारा इतनी जल्दी दुनिया से उठ जाना
जीवन पे हमारा विश्वास  डिगा गया
हमें अंदर से कमजोर बना  कर
जिंदगी की असलियत दिखा गया

हर मौके बेमौके पर दीदी तुम साथ निभाती थी
हर सुख दुःख में हमारे दीदी तुम ढाल बन जाती थी

दीदी हम सबको  बहुत याद तुम्हारी आती है
तुम्हारी याद हम सबको  बहुत सताती है।