Wednesday 6 April 2016

हमारा दोस्ताना और वो कॉलेज का जमाना

प्यारी रीता तुम्हे भी याद होगा,वो 42 -44 सालों पुराना  कॉलेज का जमाना
वो लालबाग  कॉलेज हमारा ,पैदल चल कर साथ आना जाना
रास्ते भर खूब गप्पे लड़ाना,हंसना और मुस्कराना
जूलॉजी की वो मैम वर्मा ,बॉटनी की वो रेवा भाटिया
नहीं भूली होगी तुम भी, उस हैंडसम बायोलॉजी के प्रैक्टिकल एग्जामिनर का आना
हमारी टीचरों का उस पर फ़िदा हो जाना ,दुसरे दिन ही मैम भाटिया का बॉबकट करवाना
वो मैम  वर्मा का सज धज के आना, हम सब स्टूडेंट्स का एक्जामिनर  से ऑटोग्राफ लेना
जैसे वो हो कोई सेलिब्रिटी पुराना
आर्ट फैकल्टी की टीचर को पीठ पीछे मुर्गी कह कर बुलाना
कितना सुहाना था वो मस्त जमाना

घर दूर होने के बावजूद भी हम लोगों का साथ साथ रिक्शे से महिला कॉलेज जाना
वो सड़क किनारे इक दूजे का इंतजार करना
वो आवारा लड़को का कभी कभी गुड मॉर्निंग करना
हमारा सुन कर भी उसे अनसुना करना
वो बॉटनी की  पीएचडी होल्डर मैम ईश्वरी भी याद होंगी
जिस टॉपिक को पढाना शुरू करती थी
पढ़ाते हुए उसे भूल कर  दुसरे टॉपिक पर पहुँच जाती थी
वो इनओर्गनिक केमिस्ट्री के सर का लच्छेदार बातें बनाना
नाम क्या था उनका ,नहीं याद आ रहा
वो आर्गेनिक  केमिस्ट्री की टीचर का लोरी  सुनाते हुए पढ़ाना
वो क्लासेज के बाद ऐन.  सी. सी. के लिए रुकने पर, हम सब का मुँह बनाना
बाद में अलग पढाई की वजह से हमारा जुदा  हो जाना, फिर भी एक दुसरे से मिलते रहना
आज भी याद है मुझे वो तुम्हारी भाभियों से बतियाना ,
भतीजे ,भतीजियों को गोद  लेकर खेलाना
वो तुम्हारी बैठक में बैठ कर आराम से अदरक, काली मिर्च और गुड की चाय पीते हुए
इक दुसरे को अपना हर एक राज बताना ,एक दुसरे से कुछ भी न छुपाना
शादी के बाद भी मिलने की कोशिश करना, 42 -44 वर्षों  का है हमारा ये दोस्ताना पुराना

दूर रह कर फेसबुक  और व्हाट्सप्प की बदौलत
 हम अब भी है आस पास
फर्क इतना है पहले हम दोनों  थे कुंवारे
अब एक एक बहु की बन गए है सास.
 हाहाहा


1 comment:

  1. Brilliant. Fun. What amazing memories! We would have never known if you'd not written this poem :)

    ReplyDelete