Sunday 24 May 2015

पंजाबी मुहावरे

महीनों  और मौसम से सम्बन्धित कुछ पंजाबी मुहावरे जो हमारे बुजुर्गों की देन हैं.......

1 -  जेठ, हाड़
     तप्पन पहाड़
(जेठ और आषाढ़ के महीनों में पहाड़ भी गर्मी से तपने लगते हैं )

2 -  जेठ, हाड़ कुखां
      सौन ,भदरू रूख़ाँ
(जेठ और आषाढ़ के महीनों में गर्मी की वजह से घर में अच्छा लगता है ,
जब की सावन और भादों के महीनों में पुरवाई चलने से पेडों के नीचे अच्छ लगता है.)

3 - भदु भदरंग
    गोरे ,काले इक्को रंग
  (भादों  के महीने में गर्मी और उमस से गोरे  और काले सब बदरंग हो जाते हैं.)

4 - अस्सु,मा निराला
    दिने धुप, ते राति पाला
 (आश्विन और माघप्रद के महीनो में दिन में धुप से गर्मी तथा रात में ठण्ड होती है )

5 - वस्से पौ , मा
     कौन करे ना
 (पौष और माघ के महीनों में पानी बरसता  है जो की फसलों के लिए शुभ होता है.)

6 - वस्से  चैत, वैसाख
    पक्कियां फसलें दा करे नाश
 (चैत्र  और बैसाख की बरसात पकी  फसलों का नाश कर देती है )

Saturday 16 May 2015

I.C.U.

I.C.U.में बिताये दिनों का साया
अभी तक मेरे दिलो  दिमाग पर है छाया

6 -7 दिनों तक रात दिन मुँह पर 
ऑक्सीजन मास्क चढ़ाया 
नाक में नली लगाकर
 मैंने वहाँ  खाना खाया 
हर समय डॉक्टरों और नर्सों को 
अपने इर्द गिर्द पाया
ये जानते हुए कि  मुझ पर 
है बीमारी का काला साया 
हर अपने ने मुझे जल्दी ही 
स्वस्थ होने का विश्वास दिलाया  

रोज शाम 4 बजे के आस पास 
कान्हा की पालकी आती थी 
दिन भर धीमी आवाज में
कान्हा के भजनो को सुना और गाया
सोते जागते हरदम किसी
शक्ति को अपने साथ पाया
दूसरी दुनिया में जाती मुझको
न जाने कौन वापिस लाया
महसूस की  मैंने वहां पर
उस अपरम्पार की माया

I.C.U.में बिताये दिनों का साया
अभी तक मेरे दिलो  दिमाग पर है छाया 



Wednesday 6 May 2015

जनम

ईश कृपा और अपनों की
दुआओं और शुभकामनाओं ने
मुझे नया जनम दिया
शुक्रिया ,शुक्रिया
आप सब का शुक्रिया

कान्हा

मैं कान्हा के संग नाची 
ऊपर भागी, नीचे भागी, 
पकड़ पकड़ के नाची 
ता ता थैय्या कर के नाची
ऊपर भागी, नीचे भागी,
मैं कान्हा के संग नाची