रफ्ता रफ्ता रात यूहीं ढलती रही
दिल में तेरी याद की छुरियाँ सी चलती रहीं
दिल में उठे तूफ़ान की
कानों कान न हुई किसी को खबर
सुबह सुर्ख आँखों पर पड़ी जब सबकी नजर
गर्मी और उमस को हमने दोषी बना दिया
हाले दिल को अपने सबसे छुपा लिया
दिल में तेरी याद की छुरियाँ सी चलती रहीं
दिल में उठे तूफ़ान की
कानों कान न हुई किसी को खबर
सुबह सुर्ख आँखों पर पड़ी जब सबकी नजर
गर्मी और उमस को हमने दोषी बना दिया
हाले दिल को अपने सबसे छुपा लिया
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