Thursday 30 June 2011

इबादत

ये इश्क मोहब्बत की बातें ,
जितनी चाहे कर लो .
एक उम्र तक ही ,
ये कर पाओगे .
हमारी उम्र तक आते आते यारों.
खुद से सवाल करोगे
जवानी तो  य़ू ही गवां दी,
बुदापे  में अब  क्या गुल खिलाओगे   .

या रब, ताउम्र तेरी इबादत थी करनी ,
हम न जागे
ये कह पछताओगे.......

2 comments:

  1. जवानी तो य़ू ही गवां दी,
    बुदापे में अब क्या गुल खिलाओगे

    hahahhaha!

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