Sunday 20 July 2014

जवाँमर्दी

पिछले दिनों जब मै गयी थी मुंबई
मौसम हुआ आशिकाना
झूम के चली हवा
जोर से बरसा पानी

ऊपर फ्लैट से मैंने नीचे देखा
बच्चे और बड़े पानी में भीग रहे थे
मैं भी झट नीचे गयी
कई हाथों ने मुझे पकड़ लिया
किसी ने कहा, दादी गर फिसल गयी
तो मच जाएगा यहाँ कोहराम
किसी दूसरे  ने कहा
दादी ज्यादा भीग गयी
तो हो जाएगा सर्दी और जुखाम

मैंने कहा , न न ऐसा कुछ भी न होगा
मुझे भीगना अच्छा लगता है
जवानी में मैं खूब भीगती थी
 इक प्यारी सी बच्ची बोली
दादी तुम्हारी जवाँमर्दी को सलाम
तभी पीछे से किसी कमबख्त ने कहा
हाय हाय बूढी घोड़ी लाल लगाम

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