Wednesday 27 January 2016

हल्की फुल्की मस्ती

जब भी लगती है मुझे, कोई नयी बीमारी ,
मन ही मन सोचती हूँ ,बढ़ती उम्र पड़ी शरीर पर भारी ,
बीमारियां सहते सहते मैं ,बन गयी इतनी मजबूत ,
कई बार अस्पताल से बच कर आ गयी ,है इसका सबूत,

डबलिन से मेरी भतीजी पल्लवी ,है मुझे समझाती ,
बुआ आप बेकार ही चिंता करती हैं उम्र की ,
इस उम्र की महिलाएं ,यहाँ जिम और तैराकी को हैं जाती,
कई तो आपसे बड़ी ,शादी हैं यहाँ रचाती,

मैंने उसे समझाया, प्यारी बच्ची
उन्होंने बचपन से उबले अंडे, बीफ,चिकन और वाइन पिया खाया
जबकि हमने शुरू से ही ,खस्ता ,जलेबी, जैसा तर माल पचाया
अब पछताए होत क्या,जब चिड़िया चुग गयी खेत,
अरे अभी भी अच्छी है, कइयों से अपनी सेहत.
 


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