Tuesday 1 March 2011

हाँ यही प्यार है


क्या है प्यार,
कोशिश की  हमने
जानने की बहुत
जवाँ थे जब,
पर हाय, जान न पाए
कुछ अपने बडों का भय,
कुछ समाज की बंदिशें
प्यार को समझने की,
 हमारी वो ख्वाहिशे
सब बेकार गयी
इस उम्र तक पहुँचते पहुँचते
खूब महसूस भी कर चुकी हूँ, अब इसे
ये दो शरीरों का नहीं
दो आत्माओं का मिलन है
जो  सुख और दुःख की घड़ी में
बढ़ा ही है, कम नहीं हुआ
अपने बुजुर्गों की छत्रछाया में
अपने बच्चों के साथ
हर पल इसे महसूस है किया
हाँ ये प्यार, आज के रूमानी ,
 लफ्फाजी प्यार से
अलग है बहुत
जो आज एक से ,
कल दुसरे से हो जाता है
हो सकता है, आपको ये इक मजाक लगे
पर यही सच्चा प्यार है
जो समय के साथ बढा  और परवान चढ़ा
उम्र के आखिरी पड़ाव तक साथ रहेगा
हाँ यही प्यार है


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