SUNITA KATYAL POETRY
Tuesday 28 July 2015
सितम
जब तेरी यादों ने मुझे सताया
मैंने मन को जैसे तैसे समझाया
हम दोनों बने नहीं इक दूजे के लिए शायद
रब ने हमे न मिलाया ,तो कौन सा सितम ढाया
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