Friday 28 June 2013

बेटी

जब मेरा बेटा ब्याहाया
वो मेरे लिए बहु नहीं बेटी लाया

 वो ठुमक ठुमक जब चलती है
पायल तब रुन झुन बजती है
मेरा घर-आँगन खिल जाता है

वो जब सजती संवरती है
वो जब  खिल खिल हंसती है
मेरा तन मन खुश हो जाता है

प्रभु तेरा शुकराना है
तूने दिया मुझे नजराना है




1 comment:

  1. love this poem! bhabhi will be so happy :) and love the new look of the blog :) yay.

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