Wednesday 14 August 2013

कुछ ताना और कुछ बाना

जवानी में इक दिन
 दिमाग में आया इक फितूर
गर मिल जाये मुझे कोहिनूर
तो कभी कभी अमजद अली खान को
सामने बिठा कर सुना करूं  संतूर
और फिर देखूं इक फिल्म मशहूर
शाहरुख़ खान को घर बुलाकर
खिलाऊँ सेब और अंगूर

दोस्तों  उम्र के ढलते ही
गुम हो गया ये फितूर
अब लगता है चली जाऊं
दुनिया से कहीं दूर
जहाँ हर शै में दिखे
मुझे रब का नूर
हर समय रब के नाम
का प्याला पिया करूं
और रहूँ रब्बी नशे में चूर

ऐसे जिंदगी को करूँ सफल भरपूर 

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