Saturday 3 August 2013

पतिदेव

फुर्सत के किन्ही लम्हों में
हम पतिदेव के साथ बैठे थे
उन्हें मूड में देखकर हम बोले
अपनी कवितायेँ सुनाये क्या?

ये सुन उनका  चेहरा उतर गया
हम कुछ जोर से बोले
पत्नी को प्रोत्साहन नहीं दे सकते
4 कवितायेँ लिखी हैं छोटी छोटी
लेकिन सुनायेंगे सिर्फ दो
ये धीरे से बड़बड़ाये ,अच्छा सुनाओ

हम कवितायेँ सुनाने लगे
पर इनके भाव विहीन चेहरे को
 देखकर हम समझ गए
ये अच्छे पति की तरह
 सर तो हिला  रहे हैं
पर एक कान से सुनकर कविता
दुसरे कान से बाहर उड़ा रहे हैं

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