Sunday 1 September 2013

शाम

शाम ढले आसमां में देखी  इक छटा
इक ओर डूबते सूरज की फैली लालिमा
दूजी ओर छायी गहरी काली  घटा

ये देख मन  में विचार  आया
 यही है संसार की भी सच्चाई

इक ओर सुख और खुशियाँ
दूजी ओर दुःख, तकलीफ और तन्हाई

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