Friday 13 September 2013

पीपल का पेड़

घर के पिछवाड़े के आँगन में
 एक पीपल का बड़ा पेड़ था
चैत की पूर्णिमा थी
 चारों ओर चांदनी खिली थी
 मै रात को टहल रही थी
 मेरी नजर पीपल पर पड़ी
 पीपल  नए लाली लिए
 हरे कोमल पत्तों से सजा था
 मंद हवा बह रही थी
बहुत सुंदर नजारा था
ऐसा लग रहा था जैसे
 पेड़ ने ओढनी ओढ़ रखी है
 उस ओढ़नी  में लाली लिए
हरे  सितारे रुपहली चांदनी में
जैसे झिलमिला रहे हैं
मैं मुग्ध नयनों से
 देखती वहीँ बैठ गयी
देखते देखते मेरी आँख लग गयी
मैं  जान ही न पाई
कब रात ढल गयी 

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