Thursday 25 July 2013

आदमी एक दमी

स्वर्गीय ज्ञानी संत मसकीन जी को समर्पित 


                         1

होनी तो हो कर रहे, अनहोनी न होय 
चिंता उसकी कीजिये, जो अनहोनी होय



                            2

भूत काल की यादें,
होती हैं कब्र की तरह 
और भविष्य की चिंताएँ,  
होती है चिता समान 
वर्तमान में जीना सीख ले बन्दे
तू बन जायेगा भगवान 



                            3

जानता  है तू, वर्तमान क्या है 
वर्तमान एक दम है जो अंदर गया,
जो दम बाहर चला गया, वो भूतकाल 
जो दम आएगा, वो भविष्य होगा 
इसलिए ऐ बन्दे मन को वर्तमान में 
टिका कर जीना सीख 



                              
                            

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