Tuesday 16 July 2013

चांदनी

रात मैंने चाँद देखा
साथ में चांदनी भी थी
चांदनी ऐसी खिली खिली थी
जैसे आज सजना से मिली थी

उन्हें देख रात की रानी भी  खिल गयी
हरसिंगार भी महकने लगा
हवा मंद मंद बहने लगी
मैं भी कुछ शरमाई सकुचाई सी
हाथ पकड़ कर सजना का
बोल नहीं कुछ पाई थी
हौले से बदल करवट
मुस्कराते हुए
न मालूम कब सो गयी थी 

1 comment: